श्राद्ध 2018 : पितृ पक्ष 2018 कब से, कब तक है और क्या करें और क्या नहीं करें श्राद्ध में
Shradh 2018 kab hai : श्राद्ध शब्द की उत्पत्ति श्रद्धा से हुई है। हमारे पूर्वजों ने हमारे लिए जो कुछ किया उसे ही हम लौटाने की कोशिश करते हैं। पितरो को याद करके बाह्मणों को दान दिया जाता हैं। उन्हें भोजन करवाया जाता हैं। इसे पितृपूजा भी कहते हैं। इसमें अपने पितरो को याद किया जाता हैं। प्राचीन काल में मनु नामक ऋषि ने पहली बार श्राद किया था इसलिए उनको श्राद्धदेव भी कहा जाता है।
हिंदू धर्म में अश्विन माह (september- october) के कृष्ण पक्ष को श्राद्ध के रूप में मनाया जाता है। इसे हर साल भाद्रपद माह की पूर्णिमा से लेकर आश्विन माह की अमावस्या तक मनाया जाता है। पूर्णिमा का श्राद्ध पहला और अमावस्या का श्राद्ध अंतिम होता है। हिंदू माह के अनुसार जिस तिथि को व्यक्ति का देहांत होता है, उसी तिथि को उसका श्राद्ध मनाया जाता है।
मान्यता है की सावन महीने की पूर्णिमा के दिन से ही पितर धरती पर आ जाते हैं। 16 दिनों तक श्राद्ध मनाया जाता है।
क्यों जरूरी है श्राद्ध करना?
Shradh 2018 Kab se kab tak hai : हिंदू धर्म में इसे बहुत जरूरी माना जाता है। ऐसा मानना है की जब तक हम अपने माता- पिता, दादा- दादी और अन्य मृत लोगो (पितरों) का विधि विधान से श्राद्ध और तर्पण नही करते है, उनकी आत्मा को शांति नही मिलती है। माना जाता है कि यमराज पितरो की आत्मा को कुछ समय के लिए आजाद कर देते है जिससे वो श्राद्ध ग्रहण कर सकें।
जब पितर नाराज हो जाते है तो व्यक्ति को पीढ़ा पहुंचाते है। व्यक्ति के जीवन में कोई न कोई समस्या लगी रहती है। उसे संकटों से जूझना पड़ता है। नाराज पितर व्यक्ति को संतान हीन बना देते है। उनके कोई बच्चा नही होता है। इसलिए पितृ दोष से पीढित व्यक्ति को श्राद्ध जरुर करना चाहिये।
पुत्र, पौत्र, भाई, समेत सभी महिलायें श्राद्ध कर सकती हैं। कौवों को पितरो का रूप माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि कौवे को श्राद्ध का पहला हिस्सा दिया जाता है। जिन लोगो को मृत व्यक्ति की देहांत तिथि याद नही होती है वो अमावस्या के दिन श्राद्ध कर सकते हैं।
श्राद्ध कैसे करते हैं?
Shradh 2018 : इसमें स्वादिष्ट भोजन बनाया जाता है। सबसे पहले कौवों, गाय को भोजन दिया जाता है। उसके बाद किसी ब्राह्मण को भोजन कराया जाता है, दान दक्षिणा दिया जाता है। ऐसा माना जाता है को वो भोजन और दान दक्षिणा उस मृत व्यक्ति तक पहुँच जायेगा।
पितृ श्राद्ध पक्ष पूजा विधि :-
- पूजा करने से पहले खुद को पवित्र करे। खुद पर गंगाजल छिडके।
- कुश का आसन लगाये। जनेऊ धारण करे।
- ओम सर्व पितृ देवताभ्यो नमः
- ओम प्रथम पितृ नारायणा नमः
- ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः का जाप करे
- कुश को अनामिका ऊँगली में पहन लें।
- तांबे का बर्तन में फूल, कच्चा दूध, जल लें। कच्ची सुपारी, जौ लें।
- हाथ में चावल, कच्ची सुपारी लेकर भगवान का ध्यान करें।
- दक्षिण दिशा में मुख करके पितरो को याद करें। हाथ में काला तिल रखे।
- अपने गोत्र का उच्चारण करे। या जिसके लिए श्राद्ध कर रहे है उसका गोत्र का नाम बोले। बोलते हुए 3 बार उच्चारण करें।
- तर्पण के बाद धूप डालने के लिए कंडा ले। उसमे गुड़ और घी डाले।
- बनाये हुये भोजन का एक भाग धूप में डाले। भोजन का एक भाग कौवों, गाय, पीपल और देवताओं के लिए निकाले।
पितृ मोक्ष अमावस्या कैसे करे :-
यह श्राद्ध के आखिरी अश्विन माह की अमावस्या के दिन किया जाता है। इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान किया जाता है। उनको अनाज, कपड़े, बर्तन दिए जाते हैं। श्राद्ध 3 पीढ़ी तक किया जाता है। इसे बंद करने के लिए गया, बिहार जाते है, तर्पण विधि और पिंड दान किया जाता है। ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है। घर में सुख शांति रहती है।
श्राद्ध में क्या न करें?![Shradh 2018]()
इसमें नये कपड़े न ही पहनना चाहिये और न ही खरीदना चाहिये। न ही बाल कटवाने चाहिये। न ही दाढ़ी बनवानी चाहिये। जिस दिन श्राद्ध की पूजा घर में हो स्त्रियाँ अपने बाल न धोवे। श्राद्ध में मांसाहार नही करना चाहिये।
श्राद्ध के फायदे :
- मन को शांति मिलती है
- परिवार में सम्पन्नता आती है। परिवार में सुख शांति आती है। हमारे पितर खुश होकर हमे तरह तरह की खुशियाँ देते है
- संतान प्राप्ति होती है
- मोक्ष प्राप्त होता है
- पूर्वजो, पितरों को याद करने का मौका मिलता है
- पितरो की पूजा करके निरोगी और स्वस्थ रह सकते है
- अपने पूर्वजो का ऋण चुका सकते है
2018 श्राद्ध – (पितृ पक्ष) की तिथि
अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार
शुरू – 24 सितम्बर , सोमवार, (भाद्रपद पूर्णिमा)
समाप्त – 8 अक्तूबर, सोमवार (सर्वपितृ अमावस्या)
24 सितंबर – सोमवार – प्रोष्ठपदी/पूर्णिमा का श्राद्ध
25 सितंबर – मंगलवार – प्रतिपदा का श्राद्ध
26 सितंबर – बुधवार – द्वितीया का श्राद्ध
27 सितंबर – बृहस्पतिवार – तृतीया का श्राद्ध
28 सितंबर – शुक्रवार – चतुर्थी का श्राद्ध
29 सितंबर – शनिवार – पंचमी का श्राद्ध
30 सितंबर – रविवार – षष्ठी का श्राद्ध
1 अक्तूबर – सोमवार – सप्तमी का श्राद्ध
2 अक्तूबर – मंगलवार – अष्टमी का श्राद्ध
3 अक्तूबर – बुधवार – नवमी का श्राद्ध
4 अक्तूबर – बृहस्पतिवार – दशमी का श्राद्ध
5 अक्तूबर – शुक्रवार – एकादशी का श्राद्ध
6 अक्तूबर – शनिवार – द्वादशी/सन्यासियों का श्राद्ध
7 अक्तूबर – रविवार – त्रयोदशी का श्राद्ध
8 अक्तूबर सोमवार : चतुर्दशी का श्राद्ध – चतुर्दशी तिथि के दिन शस्त्र, विष, दुर्घटना से मृतों का श्राद्ध होता है चाहे उनकी मृत्यु किसी अन्य तिथि में हुई हो। यदि चतुर्दशी तिथि में सामान्य मृत्यु हुई हो तो उनका श्राद्ध अमावस्या तिथि में करने का विधान है।
8 अक्तूबर – सोमवार – अमावस का श्राद्ध, अज्ञात तिथि वालों का श्राद्ध, सर्वपितृ श्राद्ध
9 अक्तूबर – मंगलवार – नाना/नानी का श्राद्ध
सर्वपितृ अमावस्या तिथि व श्राद्ध कर्म मुहूर्त
सर्वपितृ अमावस्या तिथि – 8 अक्तूबर 2018, सोमवार
- कुतुप मुहूर्त – 11:45 से 12:31
- रौहिण मुहूर्त – 12:31 से 13:17
- अपराह्न काल – 13:17 से 15:36
- अमावस्या तिथि आरंभ – 11:31 बजे (8 अक्तूबर 2018)
- अमावस्या तिथि समाप्त – 09:16 बजे (9 अक्तूबर 2018)
निष्कर्ष: आज के लेख में हमने आपको श्राद्ध के बारे में पूरी जानकारी दी है। श्राद्ध क्या होता है, इसे क्यों करते है, इसे करने से क्या लाभ है। इसका महत्व क्या है। इसकी पूजा कैसी की जाती है। आशा है कि आपको ये लेख पसंद आया होगा। लेख आपको कैसा लगा जरुर बतायें।