रमज़ान में रोजा रखने और खोलने की दुआ
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Roza Rakhne Ki Dua – Roza Kholne Ki Dua
रोज़ा सहरी और रोज़ा इफ्तार की दुआ
रमज़ान, जिसे रमदान भी कहा जाता है इस्लामिक कैलेंडर का नौवां महीना है जिसे बहुत पवित्र और पाक माना जाता है। इस पुरे महीने में सभी मुस्लिम अलाह की इबादत में रोज़ा रखते है। चाँद के हिसाब से यह महीना 29 या 30 दिनों का होता है। मुस्लिम मान्यता के अनुसार रमजान के महीने में ही पाक क़ुरान लिखी गयी थी। इसलिए इस महीने में सभी मुस्लिम रोज़ा रखते है और अपनी रूह को पाक करके अल्लाह-तआला की इबादत करते है।
सहरी और इफ्तार : Sehri aur Iftar Dua
रोज़े में सबसे अहम् सहरी और इफ्तार का समय होता है। सहरी रोजा शुरू करने से पहले खाए जाने वाले भोजन को कहा जाता है जबकि इफ्तार रोज़ा खत्म होने के बाद किये जाने वाले भोजन को कहा जाता है। सहरी और इफ्तार के समय रोज़ा रखने की रोज़ा खोलने की दुआ का बहुत महत्व होता है। पाक क़ुरान में भी बताया गया है की सहरी और इफ्तार के समय अल्लाह के लिए दुआ अदा करनी चाहिए।
सहरी की शुरुआत सुबह सूर्योदय से पहले होती है और रोजे का समापन इफ्तार पर होता है। सहरी के बाद रोज़ा रखने की दुआ पढ़ी जाती है और इफ्तार के से पहले रोज़ा खोलने की दुआ। माना जाता है ये दुआ अल्लाह के लिए रोज़ा रखने के लिए की जाती है। यहाँ हम आपको रोज़ा रखने सहरी की दुआ और रोज़ा खोलने इफ्तार की दुआ बता रहे है। ये दुआ हिंदी, इंग्लिश और उर्दू में दी गई है।
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है। (Roza Rakhne Ki Dua)
इफ्तार दुआ, इफ्तार से पहले सूर्यास्त के समय की जाती है। क्योंकि इस समय विनीतता और विनम्रता एकत्रित होती है और वह रोज़ेदार होता है। और ये सब (तत्व) दुआ के कबूल होने के कारणों में से एक है। जहाँ तक इफ्तार के बाद दुआ का संबंध है तो उस समय दिल को आराम मिल जाता है और वह खुश हो जाता है और संभवतः वह गफलत का शिकार हो जाता है। लेकिन नबी सल्लल्लाहु अलैहि व् सल्लम से एक दुआ वर्णित है जो यदि सही है तो वह इफ्तार के बाद ही होगी और वह यह है :