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दिवाली (दीपावली), हिन्दुओं के महत्वपूर्ण पर्वों में से एक है जिसे कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व मर्यादा पुरषोत्तम राम, उनकी पत्नी सीता और उनके छोटे भाई लक्ष्मण के 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या वापस लौटने की ख़ुशी में मनाया जाता है।
दिवाली (दीपावली)
इस पर्व को असत्य पर सत्य, अंधेरे पर रोशनी की विजय के रूप में मनाया जाता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, दिवाली का पर्व पांच दिनों तक चलता है जिसका आरंभ धनतेरस (धनत्रयोदशी) के दिन होता है और समापन भाई दूज (यम द्वितीया) के दिन होता है।
दिवाली का महत्व
पांच दिनों तक चलने वाले इस पर्व में पांचों दिन का खास महत्व होता है। जिसमे से सबसे बड़ा दिन दीपावली का दिन होता है। इस दिन लक्ष्मी-गणेश का पूजन किया जाता है, घर में दीये जलाये जाते हैं और बही-खातों का भी पूजन किया जाता है।
पूर्व में काली पूजा
ऐसे तो दिवाली के दिन विशेष तौर पर लक्ष्मी पूजन का महत्व होता है लेकिन भारत के कुछ पूर्वी हिस्सों में इस दिन को काली पूजा के रूप में मनाया जाता है। जिसमे महाकाली का पूजन किया जाता है।
पांच दिनों का पर्व दिवाली
दीपावली का पावन पर्व कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। लेकिन इसकी शुरुवात त्रयोदशी तिथि से ही हो जाती है।
धनतेरस (धनत्रयोदशी)
कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस के रूप में मनाया जाता है जिसमे खरीदारी, यम दीप और कुबेर देव की पूजा का खास महत्व होता है।
छोटी दिवाली (नरक चतुर्दशी)
कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली) के रूप में मनाया जाता है जिसमे थोड़े दीपक जलाएं जाते है। इस दिन को काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है।
दिवाली (दीपावली), लक्ष्मी पूजा
अमावस्या, पांच दिनों के पर्व का सबसे मुख्य दिन होता है जिस दिन लक्ष्मी पूजन किया जाता है। इस दिन लक्ष्मी पूजन का बहुत खास महत्व होता है। माना जाता जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा के साथ दीपावली को लक्ष्मी पूजन करता है माँ लक्ष्मी की कृपा सदैव उस पर बनी रहती है। इस दिन घर में बहुत सारे दीये जलाये जाते है। माना जाता है ये दीये अमावस्या की काली रात में प्रकाश फैलाने का काम करते हैं।
गोवर्धन पूजा, अन्नकूट, बलि प्रतिपदा
कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गोवेर्धन पूजा, अन्नकूट पूजा, बलि प्रतिपदा और कुछ क्षेत्रों में विश्वकर्मा पूजा के रूप में मनाया जाता है। गोवेर्धन पूजा के दिन गेहूं, चावल, कड़ी, और हरी पत्तेदार सब्जियां बनाई जाती है और उसे भगवान कृष्ण को भोग लगाया जाता है।
भाई दूज (यम द्वितीय)
कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज का पर्व मनाया जाता है जिसे यम द्वितीया भी कहते हैं। इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करती है और उन्हें माथे पर तिलक लगाती हैं। जिसके बाद भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं। भैया दूज पांच दिनों के दिवाली पर्व का आखिरी दिन होता है।
दिवाली 2018 कैलेंडर
Diwali Day 1 | धनतेरस, धनत्रयोदशी (Dhanteras) | 5 November 2018 | सोमवार Monday |
Diwali Day 2 | नरक चतुर्दशी, छोटी दिवाली (Chhoti Diwali) | 6 November 2018 | मंगलवार Tuesday |
Diwali Day 3 | दिवाली, लक्ष्मी पूजा (Diwali Lakshmi Puja) | 7 November 2018 | बुधवार Wednesday |
Diwali Day 4 | गोवर्धन पूजा, विश्वकर्मा पूजा, बलि प्रतिपदा (Goverdhan Puja, Vishwakarma Puja) | 8 November 2018 | गुरुवार Thursday |
DIwali Day 5 | भाई दूज, यम द्वितीय (Bhai Dooj) | 9 November 2018 | शुक्रवार Friday |
दिवाली 2018 कब है?
2018 में दिवाली लक्ष्मी पूजन 7 नवंबर 2018, बुधवार को है।
दिवाली लक्ष्मी पूजा मुहूर्त
प्रदोष काल दिवाली पूजा मुहूर्त
लक्ष्मी पूजन मुहूर्त = 17:57 से 19:53 तक
प्रदोष काल = 17:27 से 20:06 तक
वृषभ काल = 17:57 से 19:53 तक
महानिशिता काल = 23:38 से 24:31+ तक।
सिंह काल = 24:28+ से 26:45+ तक।
दिवाली पूजन चौघड़िया मुहूर्त
दीपावली लक्ष्मी पूजन के लिए शुभ चौघड़िया मुहूर्त
प्रातःकाल मुहूर्त (लाभ, अमृत) = 16:41 से 09:23
प्रातःकाल (शुभ) = 10:44 से 12:05
मध्याह्न मुहूर्त (चर, लाभ) = 14:46 से 17:28
सायंकाल मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) = 19:07 से 21:31
अमावस्या तिथि का प्रारंभ = 6 नवंबर 2018, मंगलवार 22:27 बजे
अमावस्या तिथि का समापन = 7 नवंबर 2018, बुधवार 21:31 बजे